Spiritual
राष्ट्रीयता की भावना के जागृति के लिए सम्राट अशोक क्लब प्रतिबद्ध, उन्नाव में हुआ राष्ट्रीय प्रतीक जनचेतना यात्रा
किसी भी देश कि पहचान उसके राष्ट्रीयप्रतीकों से होती है और हर देश के लोग अपने अपने राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करते है परन्तु अपने देश में अपने धार्मिक प्रतीकों के प्रति सक्रियता दिखती है परन्तु राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति आम लोग उदासीन रहते है,आये दिन राष्ट्रीय प्रतीकों को विभिन्न तरीको से अज्ञानतावस अपमानित करते रहते है जैसे राष्ट्रगान के समय टहलते रहना, राष्ट्रध्वज को उल्टा फहराना,चार सिंघो की जगह चार भेडिया बना देना इत्यादि तरीको से अपमानित किया जाता रहता है जो राष्ट्रहित में बड़ा चिंता का विषय है । इन्ही घटनाओ से आहत होकर सम्राट अशोक क्लब आम जनता में राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति श्रद्धा एवं चेतना जगाने हेतु जिलों-जिलों, गाँव-गाँव राष्ट्रीय प्रतीक सम्मान समारोह एवं जन चेतनायात्रा कर रहा है ।
इसी कड़ी में आज दिनाँक 04 नवम्बर 2018 को सम्राट अशोक क्लब शाखा उन्नाववराष्ट्रनायकयुवामहासंघशाखाउन्नाव के द्वारा हजारो की संख्या में महिलाओ एवं पुरुषो ने हर्षोल्लाश के साथ रोड मार्च किया जिस यात्रा में लोग राष्ट्रीय ध्वज के साथ हाथो में तिख्तिया लिए हुए उत्साह के साथ चल रहे थे जिस पे लिखा हुवा था “ अखंड भारत की क्या पहचान, अशोक स्तम्भ और चक्र निशान, भारत किसी भी देश की पहचान उसके राष्ट्रीय प्रतीकों से होती है और हर देश के लोग अपने अपने राष्ट्रीय प्रतीकों की है किससे शान, विजयी विश्व अशोक महान, भारत को मत बर्बाद करो, पंचशील को याद करो, इत्यादि राष्ट्रभक्ति से जुड़े हुए अनेको नारे लिखे हुए थे ।
उक्त यात्रा सम्राट अशोक शांती उपवन बुद्ध विहार गदन खेडा से जिला से जुड़े इस कार्यक्रम में सम्राट अशोक क्लब के राष्ट्रीय प्रवक्ता मा० डॉ० सच्चिदानंद मौर्य ने जगह जगह हो रहे राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान एवं आम जनता में उसके प्रति उदासीनता राष्ट्र की अखण्डता के लिए ख़तरा बताया आगे डॉ०सचिदानंद मौर्य ने प्रतीकों के संदेशो को जन-जन तक पहुचाने हेतु अस्पताल, बड़ा चौराहा होते हुए निराला पार्क पहुच कर गोष्ठी में तब्दील हो गयी । राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान कार्यकर्ताओ से अपील की।
सम्राट अशोक क्लब के राष्ट्रीय राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. दीनानाथ मौर्य
सबरीमाला / मुख्य पुजारी ने कहा- महिलाएं मंदिर न आएं, श्रद्धालुओं की भावनाओं का ध्यान रखें
तिरुवनंतपुरम. सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी ने अपील की है कि 10-50 साल की आयु की महिलाएं मंदिर में न आएं। मुख्य पुजारी कंडारू राजीवारू ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ राज्यभर में हो रहे विरोध को देखते हुए यह अपील की।
राजीवारू ने उन खबरों को नकार दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि पुजारी परिवार ने 10-50 साल की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने पर मंदिर बंद करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि मासिक पूजा और दूसरे अनुष्ठानों को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। हम इस परंपरा को नहीं तोड़ेंगे।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी- गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय ने महिलाओं के प्रवेश को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों पर चिंता जताई। मंत्रालय ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हमने कानून-व्यवस्था को लेकर 15 अक्टूबर को ही राज्य सरकार को एडवायजरी जारी कर दी थी।
दूसरे दिन भी किसी महिला ने दर्शन नहीं किए
मंदिर के पट खुलने के दूसरे दिन भी कोई महिला श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन नहीं कर पाई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में गुरुवार को कई संगठनों ने बंद बुलाया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुहासिनी राज पंबा नदी तक पहुंचने वालीं पहली महिला बन गईं, लेकिन वे मंदिर तक नहीं पहुंच पाईं। प्रदर्शनकारियों के भारी विरोध के चलते उन्हें यहीं से लौटना पड़ा। सुहासिनी न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार हैं और यहां मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विरोध-प्रदर्शन को कवर करने गई थीं।
सुहासिनी राज की सुरक्षा में कमांडो भी शामिल थे। लेकिन, मंदिर के कुछ किलोमीटर पहले ही बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया। इसके बाद उन्हें पंबा बेस कैंप ले जाया गया।
नवरात्र / ब्रह्म मुहूर्त के साथ 6.10 से 10.11 बजे तक शुभ मुहूर्त में करें घट स्थापना
शारदीय नवरात्र कल से शुरू हो रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार को अगर नवरात्रि शुरू होते हैं तो मां नाव में सवार होकर आती हैं। मान्यता है कि नाव पर सवार होकर माता आती हैं तो मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है।
ज्योतिर्विद एवं अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार यूं तो ब्रह्म मुहूर्त में कलश स्थापना सबसे शुभ है। अगर इस अवधि में कलश स्थापित न कर सकें तो सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक कलश की स्थापना भक्तगण कर सकते हैं।
डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार नवरात्र का अर्थ है नौ रात का समूह। हर एक दिन दुर्गा मां के अलग-अलग रूप मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी, मां सिद्धदात्री की पूजा होती है। नवदुर्गा के आगमन के दिन से भी भविष्य में होने वाली घटना व संकेतों का अंदाजा लगाया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार नवदुर्गा बुधवार से शुरू हो रहे हैं, जो यह दर्शाता है की मां नाव पर बैठकर आएंगी। इसी प्रकार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो तो उसका अलग संकेत है। यहां बता दें कि- नवरात्रि पूजन का आरंभ घट स्थापना से माना जाता है।
ऐसे करें कलश की स्थापना
– ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व की दिशा को देवी-देवताओं की दिशा मानी जाती है। इसलिए कलश स्थापना और माता की प्रतिमा इसी दिशा में होनी चाहिए।
– कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए और माता की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए।
– नवरात्रि में एक जटाधारी नारियल को लाल कपड़े में बांधकर कलश में रखने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुंह आपकी तरफ होना चाहिए।
घट/कलश का स्थापना मुहूर्त : सुबह: 06 बजकर 18 मिनट 40 सेकंड से 10 बजकर 11 मिनट 37 सेकंड तक रहेगा। हालांकि कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त- ब्रह्म मुहूर्त से सुबह 7.56 मिनट तक रहेगा। कुल 3 घंटे 52 मिनट घट स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त है।